The smart Trick of रंगीला बाबा का खेल That Nobody is Discussing
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'दिल टूट गया है, रोना आ रहा है मगर..' श्याम रंगीला का नामांकन खारिज, वाराणसी से भरा था पर्चा, और क्या बोले कॉमेडियन?
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ख़ुद औरंगज़ेब ने अपनी कट्टर सोच, कठोर प्रशासन और बिना वजह सेना बढ़ाने से तख़्त के पांव में दीमक लगाना शुरू कर दी थी.
शनिवार को कनखल के दिव्य योग मंदिर में योगगुरु स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने कन्या पूजन किया. इस दौरान योगगुरु और आचार्य ने लोगों को दशहरा की शुभकामनाएं दी.
जटायु की मृत्यु नाटिका में करुण रस का उच्चतम बिंदु
जब नादिर शाह दिल्ली से सौ मील दूर पहुंच गया तो मुग़ल शहंशाह को ज़िंदगी में पहली बार अपनी फौजों का नेतृत्व स्वंय करना पड़ा. यहां भी हालात ऐसे की उनके लश्कर की कुल तादाद लाखों में थी, जिसका बड़ा हिस्सा बावर्चियों, संगीतकारों, कुलियों, सेवकों, खजांचियों और दूसरे नागरिक कर्मचारियों का था जबकि लड़ाका फौज एक लाख से कुछ ही ऊपर थी.
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यही नियम इतिहास और मानवीय समाज पर भी लागू होता है कि जिस चीज़ को जितनी सख़्ती से दबाया जाता है वो उतनी ही ताक़त से उभरकर सामने आती है इसलिए औरंगज़ेब के बाद भी यही कुछ हुआ और website मोहम्मद शाह के दौर में वो तमाम कलाएं अपनी पूरी ताक़त के साथ सामने आ गईं जो उससे पहले दब गईं थीं.
नूर बाई ने नादिर शाह से भी संबंध बना लिए थे. और बहुत संभव है कि ऐसी ही किसी एकांत की मुलाक़ात में उसने कोहेनूर का राज़ नादिर शाह पर खोल दिया.
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उन्होंने कई मुद्दों पर कॉमेडी वाले वीडियो भी बनाए जो काफी वायरल हुए.
यही नहीं बल्कि उस दौरान पनपने वाले 'दूसरे दर्जे' के शायरों में भी ऐसे नाम शामिल हैं जो उस ज़माने में धुंधला गए लेकिन किसी दूसरे दौर में होते तो चांद बन कर चमकते.
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